अमरीकी फौज के एक कोर्स में इस्लाम के खिलाफ खुली जंग का पाठ पढ़ाए जाने पर एक नया विवाद खड़ा हो गया है.
इस पाठ्यक्रम में सुझाया गया था कि अमरीका इस्लाम से जंग लड़ रहा है और वो मक्का जैसे पवित्र शहरों को परमाणु हमलों से नष्ट करने पर विचार कर सकता है और आम नागरिकों को भी खत्म कर सकता है.
इस कोर्स पर पिछले महीने रोक लगा दी गई थी.
अमरीका के सबसे वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने देश के शीर्ष सैन्य स्कूलों में से एक स्कूल में इस्लाम के बारे में पढ़ाए जाने वाले इस पाठ्यक्रम की निंदा की है.
ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ प्रमुख जनरल मार्टिन डेम्पसी ने इस स्वैच्छिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम को पूरी तरह से आपत्तिजनक और धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक जागरुकता के प्रति अमरीकी रुख के विपरीत बताया है.
विवादास्पद पाठ्यक्रम
ये स्वैच्छिक कोर्स सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए था और इसे नौर्फौक, वर्जीनिया के ज्वाइंट फोर्से स्टाफ कॉलेज में पढाया जा रहा था.
इसमें सुझाया गया कि उदार इस्लाम जैसी कोई बात नहीं है और सेना को इस्लाम को अपना दुश्मन मानना चाहिए.
इस कोर्स के बारे में तब पता चला जब एक अफसर ने इसकी शिकायत की. करीब एक साल से चल रहे इस कोर्स को पिछले महीने बंद कर दिया गया.
इस खबर को सबसे पहले ‘वायर्ड’ वेबसाइट ने छापा था और पेंटागन ने कहा था कि पाठ्यक्रम की विषयवस्तु सही दर्शाई गई थी.
जांच
अमरीकी सैन्य प्रमुख जनरल डेम्पसी ने कहा, “ये पाठ्यक्रम हमारी धार्मिक स्वतंत्रता के प्रति सम्मान और सांस्कृतिक जागरूकता की मूल्यों के खिलाफ है. ये पाठ्यक्रम आपत्तिजनक है और शिक्षा की दृष्टि से भी गैर-जिम्मेदाराना है.”
जनरल डेम्पसी ने विस्तृत जांच के आदेश दिए है और कहा है कि पता लगाया जाए कि अमरीका के सैन्य स्कूल धर्म के बारे में क्या पढ़ा रहे हैं.
इस बात की भी जांच की जा रही है कि इस पाठ्यक्रम को कैसे मंजूरी मिल गई.
अमरीकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन ने संबंधित शिक्षक को निलंबित कर दिया है. पेंटागन को उम्मीद है कि एक महीने तक जांच की रिपोर्ट आ जाएगी.
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