भारतीय नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने मनोरंजन उद्योग पर टैक्स लगाने के सरकार के तौर-तरीकों में खामियों का पता लगाया है और टैक्स के मोर्चे पर पेंच कसने के लिए कई उपाय भी सुझाए हैं। ऑडिट रिपोर्ट में कैग ने सुझाव दिया है कि फिल्मों के डिस्ट्रिब्यूशन अधिकारों और टेलिविजन चैनलों को टाइम स्लॉट की बिक्री के लिए भुगतान में स्रोत पर टैक्स की कटौती की जानी चाहिए।
शुक्रवार को संसद में इस रिपोर्ट को पेश करने वाले कैग ने कहा कि टाइम स्लॉट की बिक्री पर कोई टैक्स न तो काटा जाता है और न ही इकट्ठा किया जाता है, जबकि ऐडवर्टाइजिंग सेक्टर की कुल आमदनी का करीब 40 फीसदी हिस्सा टेलिविजन उद्योग से जुड़ा हुआ है।
फिल्म और टेलिविजन उद्योग ने 2009 में 9,500 करोड़ रुपए और 26,550 करोड़ रुपए की आमदनी कमाई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले पांच साल में फिल्म और टेलिविजन उद्योग 16.5 फीसदी की दर से बढ़ते हुए 2014 तक 65,850 करोड़ रुपए तक पहुंचेंगे। कैग की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हम सिफारिश करते हैं कि टाइम स्लॉट की बिक्री और टेलीकास्ट फीस पर टीडीएस के लिए प्रावधान जोड़ा जाना चाहिए।’
इसमें आगे कहा गया है कि फिल्म और टेलिविजन उद्योग से जुड़े सभी लोगों और इकाइयों को विशेष रूप से तैयार फिल्म सर्किल में आंका जाए। हालांकि, सरकार ने मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद और बंगलुरु में चार फिल्म सर्किल तैयार किए हैं, ताकि फिल्म उद्योग से जुड़ी इकाइयों का असेसमेंट प्रभावी रूप से संभाला जा सके, लेकिन इसके बावजूद 465 इकाइयों को सर्किल से बाहर असेस किया गया था। यह भी सुझाव दिया गया कि फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों को भुगतान करते वक्त पैन रेकॉर्ड किया जाए, क्योंकि इसकी गैर-मौजूदगी में यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि वह व्यक्ति कौन है, जिसे भुगतान किया गया।
यह मशविरा भी है कि आयकर विभाग को दूसरे विभागों और राज्यों के राजस्व विभागों के साथ समन्वय कायम करना चाहिए, ताकि टैक्स का दायरा बढ़ाया जा सके और टैक्स चोरी रोकी जा सके। भारत दुनिया में सबसे ज्यादा फिल्म बनाने वाला उद्योग है, जहां हर साल 1,000 फीचर फिल्मों का निर्माण होता है। शुक्रवार को संसद में सौंपी गई एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि कैग को सेना के गोल्फ कोर्स में कई खामियां मिली हैं और वे सभी 97 अनधिकृत हैं। डिफेंस एस्टेट मैनेजमेंट पर एक रिपोर्ट में कैग ने कहा है कि गोल्फ कोर्स 8,000 एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में सेना की जमीन पर बनाए गए हैं और सरकारी संपत्तियों का इस्तेमाल करने के लिए सरकार को बिना कोई लीज रेंट चुकाए ही आमदनी बनाई जा रही है। कैग ने इस सिलसिले में कोई नियम न बनाने को लेकर रक्षा मंत्रालय की खिंचाई भी की।
Source : इकनॉमिक टाइम्स
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